टोक्यो पैरालिंपिक:भारत ने एक दिन में 2 गोल्ड समेत 5 मेडल हासिल किए

टोक्यो पैरालिंपिक:भारत ने एक दिन में 2 गोल्ड समेत 5 मेडल हासिल किए

टोक्यो पैरालिंपिक में सोमवार को भारतीय एथलीट्स ने धमाल मचा दिया। भारत ने इस दिन 2 गोल्ड समेत कुल 5 मेडल जीते। अवनि लेखरा ने शूटिंग में और सुमित अंतिल ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके अलावा देवेंद्र झाझरिया ने जेवलिन में और योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता। सुंदर सिंह गुर्जर को ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुआ।

भारत ने सोमवार को इतने मेडल जीते, जितने उन्होंने किसी एक पैरालिंपिक में कभी नहीं जीते। अब तक टोक्यो पैरालिंपिक गेम्स में भारत कुल 7 मेडल जीत चुका है। यह भारत का अब तक का सबसे सफल पैरालिंपिक बन गया है। इससे पहले 2016 रियो ओलिंपिक और 1984 ओलिंपिक में भारत ने 4-4 मेडल जीते थे।

सुमित ने F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में 68.55 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ मेडल जीता। वहीं 19 साल की अवनि ने पैरालिंपिक के इतिहास में भारत को शूटिंग का पहला गोल्ड मेडल दिलाया। अब तक ओलिंपिक में भी किसी महिला शूटर ने गोल्ड नहीं जीता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी एथलीट्स को बधाई भी दी है।

सोनीपत के सुमित का सफर कठिनाइयों भरा रहा है। 6 साल पहले हुए सड़क हादसे में एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले से हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। पैरालिंपिक 2020 में जेवलिन थ्रो में भारत का यह तीसरा मेडल है।

सुमित ने पैरालिंपिक में अपने ही वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा है। उन्होंने पहले प्रयास में 66.95 मीटर का थ्रो किया, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इसके बाद दूसरे थ्रो में उन्होंने 68.08 मीटर दूर भाला फेंका। सुमित ने अपने प्रदर्शन में और सुधार किया और 5वें प्रयास में 68.55 मीटर का थ्रो किया, जो कि नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। उनका तीसरा और चौथा थ्रो 65.27 मीटर और 66.71 मीटर का रहा था। जबकि छठा थ्रो फाउल रहा।

राजस्थान के जयपुर की रहने वाली अवनि पैरालिंपिक गेम्स में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बन गईं। पैरालिंपिक के इतिहास में भारत का शूटिंग में यह पहला गोल्ड मेडल भी है। उन्होंने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 के फाइनल में 249.6 पॉइंट स्कोर कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इससे पहले उन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में 7वें स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी।

अवनि बचपन से ही दिव्यांग नहीं थीं, बल्कि उनका और उनके पिता प्रवीण लेखरा का 2012 में जयपुर से धौलपुर जाने के दौरान एक्सीडेंट हो गया था। इसमें दोनों घायल हो गए थे। कुछ समय बाद उनके पिता स्वस्थ हो गए, परंतु अवनि को 3 महीने अस्पताल में बिताने पड़े, फिर भी रीढ़ की हड्‌डी में चोट की वजह से वह खड़े और चलने में असमर्थ हो गईं। तब से व्हीलचेयर पर ही हैं।

टोक्यो पैरालिंपिक्स में एक बार फिर राष्ट्रगान सुनने को मिला। पैरा शूटर अवनि लेखरा को पोडियम पर जब गोल्ड मेडल दिया गया, तब राष्ट्रगान से भारत का हर एक नागरिक गर्व से भर गया। इससे पहले टोक्यो ओलिंपिक्स में जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को गोल्ड मेडल मिलने के वक्त भी ऐसा ही माहौल था।

दो बार के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया ने टोक्यो में एक और मेडल अपने नाम किया। उन्होंने F46 कैटेगरी में 64.35 मीटर दूर भाला फेंका। जबकि सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर का थ्रो किया। राजस्थान के चुरु जिले के देवेंद्र झाझरिया ने इससे पहले रियो पैरालिंपिक 2016 और एथेंस पैरालिंपिक 2004 में गोल्ड मेडल जीता था। उनके नाम भारत की ओर से पैरालिंपिक में 2 बार गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड है। देवेंद्र के पास अब कुल 3 पैरालिंपिक मेडल हो गए हैं।

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