जल्द बारिश नहीं हुई तो बढ़ सकती है मुश्किलें

जल्द बारिश नहीं हुई तो बढ़ सकती है मुश्किलें

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सावन की शुरुआत के साथ ही फुहारों की शक्ल में सही आषाढ़ की तुलना में बादल अच्छे बरसे है। लेकिन जलाशयों में सिर्फ एक प्रतिशत ही जलभराव हो पाया है। तांदुला में अब तक 15 फीसदी और खरखरा में केवल 26 प्रतिशत ही जलभराव हुआ है। जबकि पिछली साल इस समय तक तांदुला में 30 प्रतिशत और खरखरा में 47 प्रतिशत जलभराव हो गया था। मानसून का रुख इस बार समझ में नहीं आ रहा है। शुरुआत में जून महीने में जमकर बारिश हुई। इसके चलते ही शुरुआत में ही करीब 25 प्रतिशत बारिश हो गई थी। वहीं जुलाई महीना अधिकतर सूखा ही रहा। इस दौरान ज्यादातर खंड बारिश हुई। सावन की शुरुआत जुलाई के अंतिम दिनों में अच्छा संकेत लेकर आया और करीब एक सप्ताह तक रिमझिम बारिश होती रही, इससे किसानों ने अपनी खेती किसानी के काम किए,वहीं जलाशयों में भी अच्छा जलभराव की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन जलाशयों में पानी पहुंच नहीं पाया है, जिससे जलाशयों के हालात ठीक नहीं है।

तांदुला व खरखरा जलाशय का पानी भिलाई स्टील प्लांट समेत सिंचाई व ग्रामीण क्षेत्रों में निस्तारी के काम आता है। इसके अलावा दुर्ग,बालोद, व बेमेतरा जिलों में लोगों की प्यास बुझाने का काम भी करता है। अगर जलभराव नहीं होगा तो आने वाले समय में पानी का संकट खड़ा हो सकता है।

जलाशयों में जलभराव के लिहाज से मानसून अनुकूल भले ही ना रहा हो, लेकिन जिले में बारिश का आंकड़ा 500 मिमी से पार हो चुका है। जिले में अब तक 522.7 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। वहीं पिछली बार 523 मिमी बारिश हुई थी। इस लिहाज से जिले में बारिश पर्याप्त हो रही है। लेकिन जलाशयों की स्थिति तांदुला की क्षमता 10 हजार 674 मि.घनफीट की है, लेकिन केवल 1708 मि.घनफीट अब तक भराव हुआ है। वहीं खरखरा की हालत खराब है, इसकी क्षमता 5 हजार मि,घनफीट की है, लेकिन मात्र 1300 मि.घनफीट जलभराव हुआ है।
तांदुला जल संसाधन विभाग के ईई एस.के.पांडेय का कहना है कि जलाशयों में पानी पहुंच रहा है। लेकिन इसकी गति थोड़ी धीमी है। कैंचमेंट में अच्छी बारिश नहीं हो रही है। जलाशयों में पानी नहीं पहुंचने से चिंता स्वाभाविक है। हमारी उम्मीद है कि जल्द अच्छी बारिश होगी।

जिले में बारिश नहीं होने से चिंता बनी हुई है। पिछले हफ्ते 1-2 दिन ही रुक-रुककर बारिश हुई थी उसके बाद बारिश नहीं हो रही है। बादल तो आते है लेकिन बरस नहीं रहे है। जिले में 525.1 मिमी औसत बारिश हुई है। जिसमें तीनों विकासखंड की बात करे तो दुर्ग विकासखंड में 567 मिमी, धमधा में 377.3 मिमी और पाटन में 631 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

जलाशयों में पानी नहीं पहुंचने का मुख्य कारण कैचमेंट में बारिश का कम होना बताया जा रहा है। जिले की प्यास बुझाने के लिए तांदुला और खरखरा दोनों जलाशयों के कैचमेंट में कांकेर जिले के करीब तक पूरा पहाड़ी क्षेत्र और राजनांदगांव के आखिरी छोर तक आता है। लेकिन यहां बारिश नहीं होने के कारण जलाशयों में पानी नहीं पहुंच रहा है।
बता दे कि, बारिश जल संचयन प्रणाली में कैचमेंट क्षेत्र वह स्थान होता है, जो बारिश के जल को सीधे प्राप्त करता है और इस संचयन प्रणाली को जल प्रदान करता है।
जानकारी के मुताबिक, खपरी जलाशय जिले का एक मात्र जलाशय है, जिसकी स्थिति फिलहाल ठीक कही जा सकती है। यहां अभी करीब 55 प्रतिशत पानी है, और यहां से खेतो के लिए पानी दिया जा रहा है। लेकिन इसका सिचिंत क्षेत्र कम है। तांदुला और खरखरा से अभी सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जा सकता है।

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