देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार इस महीने से और तेज हो जाएगी। केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी दी है। केंद्र ने बताया कि देश में वैक्सीन बनाने वाली दो बड़ी कंपनियां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक हर महीने कोवीशील्ड और कोवैक्सिन के 4 करोड़ से ज्यादा डोज का प्रोडक्शन करेंगी। ऐसे में देश के लोगों को इसका सीधा फायदा होगा।
SII ने बताया कि वह कोवीशील्ड का प्रोडक्शन अब हर महीने 11 करोड़ से बढ़ाकर 12 करोड़ डोज करने जा रही है। वहीं भारत बायोटेक भी कोवैक्सिन का प्रोडक्शन 2.5 करोड़ से 5.8 करेगी।
ऐसे आएगा 136 करोड़ डोज
साल के अंत तक देश में कोरोना की 136 करोड़ डोज उपलब्ध हो जाएंगी। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से यह जानकारी सांसदों को दी गई है। PMO के द्वारा जारी एक नोट में कहा गया है कि अगस्त में कोवैक्सिन का वैक्सीन प्रोजेक्शन 2.65 करोड़, कोविशील्ड का 23 करोड़ और महीने में कुल 25.65 करोड़ खुराक का उत्पादन होगा।
सितंबर में कोवैक्सिन का प्रोजेक्शन 3.15 करोड़ और कोविशील्ड का 23 करोड़ होगा। जो कुल मिलाकर 26.15 करोड़ खुराक होगी। अक्टूबर में कुल 28.25 करोड़ खुराक का उत्पादन किया जाएगा, जिसमें से कोवैक्सिन 5.25 करोड़ और कोविशील्ड की 23 करोड़ खुराक होगी।
नवंबर में 28.25 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे जिनमें 5.25 करोड़ कोवैक्सिन और 23 करोड़ कोविशील्ड की होंगी। वहीं दिसंबर में कोवैक्सिन का अनुमान 5.25 करोड़ और कोविशील्ड का 23 करोड़ खुराक का होगा, जो कुल मिलाकर महीने के लिए 28.5 करोड़ खुराक होगा।
अगस्त से दिसंबर 2021 के लिए केंद्र द्वारा दिए गए एक अग्रिम आदेश के अनुसार, कोविशील्ड वैक्सीन की 75% खुराक 215.25 रुपए प्रति खुराक पर कुल 8,071.87 करोड़ रुपए की लागत से खरीदी जाएगी। इस तरह देश में अगले कुछ महीनों में कोरोना वैक्सीन की 136 डोज उपलब्ध होंगी।
दोनों कंपनियों ने 51.24 करोड़ डोज सप्लाई किए
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को लोकसभा में लिखित तौर पर बताया कि 16 जनवरी से 5 अगस्त तक सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड के 44.42 करोड़ डोज सप्लाई किए हैं। वहीं भारत बायोटेक ने इस दौरान कोवैक्सिन के 6.82 करोड़ डोज सप्लाई किए हैं। यानी दोनों कंपनियों ने इस अवधि में 51.24 करोड़ डोज सप्लाई किए हैं।
देश में कोविड-19 टीकों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए पवार ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने टीकों की फास्ट ट्रैक मंजूरी के लिए कई कदम उठाए हैं। क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीन के अप्रुवल के लिए फास्ट ट्रैक प्रोसेसिंग सिस्टम बनाया गया है। है।