डिलेश्वर चन्द्राकर @ दक्षिणापथ
देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपने प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले ग्राम कुथरेल के युवा न केवल अपनी काबिलियत का प्रदर्शन कर रहे हैं बल्कि कुथरेल गांव के नाम का परचम भी लहरा रहे हैं। अपनी काबिलियत और मेहनत से युवा वर्ग नए-नए मुकाम हासिल कर रहा है। खासकर की कुथरेल गांव के युवा जहां सभी क्षेत्र में अग्रणी है वहीं यहां की बेटियां लगातार हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपना नाम सफल लोगों की सूची में दर्ज करा रही हैं।
ग्राम कुथरेल निवासी रागिनी साहू का पीएससी परीक्षा के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेजी) के पद पर चयन हुआ है। उन्होने यह उपलब्धि ओबीसी वर्ग में प्रथम स्थान हासिल कर प्राप्त किया है। रागिनी साहू शुरु से ही मेधावी छात्रा रही है। रागिनी का प्रारंभिक पढ़ाई गांव से शुरू हुआ। उन्होने 10 वीं व 12 वीं की परीक्षा उच्चतर माध्यमिक शाला ग्राम अंडा और ग्रेजुएशन की परीक्षा सेठ रतनचंद सुराना महाविद्यालय से अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण की। इंग्लिश में स्नातकोत्तर साइंस कॉलेज से उत्तीर्ण की। इसके बाद से रागिनी साइंस कॉलेज दुर्ग में अतिथि प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थी। रागिनी के पिता नारायण साहू गांव में खेती किसानी व अमूल दूध में सुपरवाइजर का कार्य करते है। इस कठिनाई में भी उन्होने अच्छी शिक्षा दिलाकर रागिनी को ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया। रागिनी की मां प्रतिभा साहू गृहणी है। उनकी मां प्रतिभा साहू और पिता नारायण साहू भी अपनी होनहार बेटी की उपलब्धि से काफी खुश हैं। रागिनी का छोटा भाई भी पीएससी का तैयारी कर रहा है। कु. रागिनी साहू के असिस्टेंट प्रोफेसर पद की यह उपलब्धि ने प्रदेश में ग्राम कुथरेल को गौरांवित किया। उपलब्धि पर उन्हे बधाईयों का तांता लगा हुआ है।
छोटे भाई और बड़े पापा ने किया प्रोत्साहित
मैं अपनी सफलता का श्रेय सर्वप्रथम अपने माता-पिता, भाई, बड़े पापा को देना चाहती हूं। जिन्होंने मुझे सपने देखने और उसके पीछे मेहनत करना सिखाया। मेरा भाई समय-समय पर मुझे कोचिंग भी देता था। यह सब भाई की बदौलत ही संभव हो पाया है। मेरे पढ़ाई में मेरे बड़े पिताजी राजकुमार साहू (अध्यक्ष ग्रामीण साहू समाज) व लोचन सिंह साहू ने प्रोत्साहित की। जिसके लिए शब्दों में आभार जता पाना मुश्किल होगा।
ऐसा रहा सफर
मेरी पढ़ाई मेरे गांव कुथरेल के कन्या प्राथमिक शाला से हुई। हाई स्कूल की शिक्षा शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल ग्राम अंडा से प्राप्त की। ग्रेजुएशन सेठ रतनचंद सुराना कॉलेज दुर्ग से करने के बाद एमए की डिग्री साइंस कॉलेज दुर्ग से प्राप्त की। उसके बाद से साइंस कालेज में ही अतिथि प्राध्याक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थी।
ये मायने नहीं रखता कि आप कहां से आते हैं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने संघर्ष से कितनी ऊंचाई को प्राप्त करते हैं। अपने जीवन का लक्ष्य बनाइये। आगे बढि़ए और अपने सपने को पूरा कीजिए। देर भले हो सकती है पर ईमानदारी से की गई मेहनत आपको निश्चित सफलता दिलाती है।