भारत में भी कोरोना वायरस के दो अलग-अलग टीकों को मिलाने पर ट्रायल शुरू होगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंजूरी दे दी है। ट्रायल में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक-एक डोज लगाई जाएगी और उसका लोगों पर असर जांचा जाएगा। भारत में अपनी तरह की यह पहली स्टडी होगी। अमेरिका, यूके समेत कुछ अन्य देशों में पहले से ही अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करके रिसर्च चल रही है। आइए समझते हैं कि यह ट्रायल कैसे होगा और इससे फायदे क्या हैं।
वैक्सीन कॉकटेल के ट्रायल में क्या होगा?

फिलहाल तमिलनाडु के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC) को वैक्सीन कॉकटेल के ट्रायल की अनुमति मिली है। 300 स्वस्थ वालंटियर्स को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक-एक डोज दी जाएगी। ट्रायल दो ग्रुप्स में बंटा होगा। पहले ग्रुप वालों को कोवैक्सीन पहले लगेगी और दूसरे ग्रुप के लोगों को पहले कोविशील्ड दी जाएगी। दूसरे डोज अलग वैक्सीन की होगी।
वैक्सीन कब मिक्स करते हैं? इस केस में क्या होगा?

- कोविड-19 से पहले भी कई स्टडीज में पाया गया कि वैक्सीन मिक्स करने पर बेहतर इम्युन रेस्पांस ट्रिगर होता है। आमतौर पर वैक्सीन मिक्स करने की रणनीति से सप्लाई में उतार-चढ़ाव की परेशानियां, बेहतर इम्युन रेस्पांस और वेरिएंट्स के खिलाफ एफेकसी मिलती है।
- कोवैक्सीन एक इनऐक्टिवेटेड होल वायरस वैक्सीन है जबकि कोविशील्ड एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म आधारित वैक्सीन।
- एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोविशील्ड से केवल ऐंटी-स्पाइक प्रोटीन रेस्पांस ट्रिगर होगा। बूस्टर के तौर पर कोवैक्सीन यूज करने से वह रेस्पांस और मजबूत होगा और सभी SARS-CoV-2 प्रोटीन्स के खिलाफ प्राइमरी रेस्पांस तैयार हो सकता है।
अभी तक वैक्सीन मिक्स करने पर क्या राय है?

- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि दोनों डोज के लिए एक ही वैक्सीन का प्रयोग किया जाना चाहिए। अगर गलती से दूसरी डोज अलग वैक्सीन की लग जाए तो किसी वैक्सीन की अतिरिक्त डोज लेने की जरूरत नहीं है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक स्टडी के बाद कहा कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मिक्स करने से कोविड के खिलाफ बेहतर इम्युनिटी तैयार हुई।
- डॉ वीके पॉल पहले कह चुके हैं कि ‘वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसा किया जा सकता है लेकिन और शोध की जरूरत है। यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि डोज मिक्स करनी चाहिए।’
वैक्सीन मिक्स करने से क्या फायदे?

- कुछ रिसर्च में कहा गया है कि ऐसा करने कोरोना वायरस के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा मिलती है।
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे टीके जो वायरस के अलग-अलग हिस्से पर वार करते हों, को मिक्स करने से इम्युन सिस्टम और बेहतर ढंग से तैयार हो सकता है। इस तरह नए वेरिएंट्स के प्रति भी सुरक्षा मिल सकती है।
- वैक्सीन डोज मिक्स करने का एक बड़ा फायदा यह होगा कि वैक्सीन की किल्लत दूर हो जाएगी। जो देश वैक्सीन की कमी झेल रहे हैं, उनके लिए डोज मिक्स करने का फायदा लॉजिस्टिक्स में है, एफेकसी में नहीं। भारत में अगर कई टीकों के कॉम्बिनेशंस को मंजूरी मिल जाए तो वैक्सीनेशन बहुत तेजी से पूरा हो सकता है।
मिक्स्ड डोज: रिसर्च क्या बताती है?

कुछ स्टडीज में यह बात सामने आई कि अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने से कोविड-19 के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा मिलती है। स्पेन में रिसर्चर्स ने पाया कि लोगों को ऑक्सफर्ड-अस्त्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक, दोनों के टीक लगाना सुरक्षित है और बेहतर इम्युन रेस्पांस ट्रिगर होता है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है। मगर साइड इफेक्ट्स जरूर बढ़ सकते हैं। ‘द लैंसेट’ में छपे लेख के अनुसार, रिसर्चर्स ने वालंटियर्स को पहले ऑक्सफर्ड-अस्त्राजेनेका की डोज दी और उसके बाद फाइजर-बायोएनटेक की। ऐसे लोगों में साइड इफेक्ट्स ज्यादा दिखे जो कि जल्द ही दूर भी हो गए। वैक्सीन का क्रम बदलने पर भी नतीजों में बदलाव नहीं दिखा।
बाकी दुनिया में मिक्स्ड डोज पर क्या नियम?

कई पश्चिमी देशों में फाइजर, मॉडर्ना और अस्त्राजेनेका की वैक्सीन को मिक्स करके दिया जा रहा है।
- कनाडा में वैक्सीन की पहली डोज को फाइजर या फिर मॉडर्ना के साथ मिक्स किया जा रहा है।
- अमेरिका ने ‘असाधारण परिस्थितियों’ फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन और मॉडर्ना वैक्सीन को 28 दिन के अंतराल पर मिक्स करने की अनुमति दे रखी है।
- यूके में भी मिक्स ऐंड मैच कोविड-19 वैक्सीन ट्रायल चल रहा है।
- फिनलैंड में पहली डोज अस्त्राजेनेका, दूसरी किसी और वैक्सीन की देने की इजाजत।
- फ्रांस में 55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पहले अस्त्राजेनेका (कोविशील्ड) की डोज और दूसरी डोज किसी mRNA वैक्सीन की देने की बात है।
- इसके अलावा चीन, रूस नॉर्वे, साउथ कोरिया, स्पेन, स्वीडन जैसे कई देशों में या तो वैक्सीन मिक्सिंग को मंजूरी मिल चुकी है या उसपर ट्रायल चल रहे हैं।