अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को अमेरिका सहित 60 देशों ने बड़ा झटका दिया है। इन देशों ने अफगानिस्तान को हर साल मिलने वाली कई बिलियन डॉलर की मदद रोकने का फैसला किया है। हालांकि, चीन तालिबान के सपोर्ट में सामने आया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा- अफगानिस्तान की बदतर स्थिति के लिए सिर्फ अमेरिका जिम्मेदार है।
वेनबिन ने कहा- अफगानिस्तान को इस हालत में छोड़कर अमेरिका वापस नहीं जा सकता। चीन युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे अफगानिस्तान को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के बैंकों में मौजूद अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाले 460 मिलियन डॉलर निकालने पर रोक लगा दी है।
अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक के विदेशी भंडार में जमा 9 बिलियन डॉलर में से करीब 7 बिलियन डॉलर फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क के पास हैं। बाइडेन प्रशासन पहले ही इस पैसे को सीज कर चुका है। कोशिश की जा रही है कि बाकी पैसा भी तालिबान तक न पहुंच सके। अगले 4 साल तक अफगानिस्तान को 12 बिलियन डॉलर देने के लिए 60 से ज्यादा देशों ने नवंबर में एग्रीमेंट किया था। अब यह पैसा मिलना भी मुश्किल नजर आ रहा है।
वेनबिन ने कहा- अफगान मुद्दे पर चीन की स्थिति स्पष्ट है। हमें उम्मीद है कि तालिबान सबको साथ लेकर एक सरकार बना सकता है। ये उदार होगी और उसकी घरेलू और विदेश नीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानी लोगों का प्रतिनिधित्व करेगी। चीन हमेशा से अफगानिस्तान के लोगों के प्रति दोस्ताना रवैया अपनाता आया है। हम अफगानिस्तान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पूरी सहायता करते रहे हैं। देश में अराजकता और जंग के खत्म होने के बाद वित्तीय व्यवस्था को फिर शुरू किया जा सकता है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा- चीन अफगानिस्तान में शांति और लोगों की आजीविका की स्थिति में सुधार के लिए सकारात्मक भूमिका निभाएगा। अफगानिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के बारे में पूछे जाने पर वेनबिन ने कहा- हम अफगानिस्तान में अपने नागरिकों और संस्थानों की सुरक्षा पर नजर बनाए हुए हैं। वहां हमारा दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है। अफगानिस्तान से अधिकतर चीनी नागरिक पहले ही देश लौट चुके हैं। बचे हुए नागरिकों को वापस लाने के लिए हम उनसे लगातार संपर्क में हैं। साथ ही वहां मौजूद चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए निर्देश दिए गए हैं।
जर्मनी पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह तालिबानियों के कब्जे के बाद अफगानिस्तान को आर्थिक मदद नहीं देगा। यूरोपीय यूनियन (EU) भी अफगानी अधिकारियों द्वारा स्थिति स्पष्ट न होने तक कोई भी भुगतान नहीं करने की बात कह चुका है।