ऑटो सेक्टर में मैनुफैक्चरिंग को सपोर्ट देने के लिए लगभग 60,000 करोड़ रुपए की जो योजना बनाई गई थी, उसमें सरकार ने बदलाव किया है। मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि सरकार का फोकस अब ग्रीन एनर्जी से चलने वाली गाड़ियों को बढ़ावा देने पर होगा। वह कंपनियों को सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली गाड़ियां और उसके पार्ट्स बनाने के लिए इंसेंटिव देगी।
सरकार पहले घरेलू खपत और निर्यात के लिए ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट बनाने वाली कंपनियों को इंसेंटिव देना चाहती थी। उसने उस इनसेंटिव में से कुछ हिस्सा इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के लिए तय किया हुआ था। सरकार का फोकस तब बदला है, जब टेस्ला इंडिया में एंट्री करने की तैयारी में है। वह EV पर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी कराने के लिए लॉबींग कर रही है।सरकार टेस्ला की रिक्वेस्ट पर विचार कर रही है, लेकिन वह बदले में कुछ चाहती है। वह टेस्ला से यह कमिटमेंट चाहती है कि कंपनी इंडिया में EV बनाएगी। नए प्रपोजल के मुताबिक, वह इंसेंटिव सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों के निर्माण के लिए ही देगी। सरकार पुरानी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने पर खर्च नहीं करना चाहती।
हालांकि ऑटो पार्ट्स कंपनियों को क्लीन एनर्जी व्हीकल के कंपोनेंट बनाने के लिए इंसेंटिव मिलेगा। उन्हें इंसेंटिव सेफ्टी से जुड़े पार्ट्स के अलावा कनेक्टेड कारों के सेंसर और राडार जैसी दूसरी एडवांस टेक्नोलॉजी में निवेश के लिए भी मिलेगा। उन्हें ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन, क्रूज कंट्रोल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स में पैसा लगाने के लिए भी सपोर्ट दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मकसद ऐसी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना है, जिनका उत्पादन भारत में नहीं हो रहा है, लेकिन उनका इंपोर्ट हो रहा है ताकि उससे रेगुलेटरी जरूरतें पूरी की जा सकें या फिर ग्राहक गाड़ियों में ऐसी फीचर्स मांग रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्रॉडक्शन लिंक्ड स्कीम घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों के लिए मिल सकती है और इसको सितंबर अंत तक अंतिम रूप दिया जा सकता है।
देश में बिकने वाली हर सौ में से सिर्फ एक गाड़ी इलेक्ट्रिक होती है। टाटा मोटर्स अभी देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है। M&M के अलावा टूव्हीलर कंपनी TVS मोटर और हीरो मोटोकॉर्प अपनी EV योजना पर काम कर रही हैं। मारुति सुजुकी का EV बनाने का इरादा फिलहाल नहीं है। पिछले महीने ही उसके चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा था कि अभी देश में ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें नहीं बिक रही हैं और ये फिलहाल ग्राहकों के लिए किफायती भी नहीं हैं।
यह ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारत बुलाने के लिए बनाई गई लगभग दो लाख करोड़ रुपए की प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का हिस्सा है। सरकार इस योजना के तहत ऑटो, ऑटो पार्ट्स सहित 10 सेक्टरों की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को पांच साल तक इंसेंटिव देकर घरेलू बाजार में उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना चाहती है।