उत्तराखंड और हिमाचल में पर्यटन पर डबल अटैक, पहले कोरोना, फिर भूस्खलन

उत्तराखंड और हिमाचल में पर्यटन पर डबल अटैक, पहले कोरोना, फिर भूस्खलन

पहाड़ों पर कुदरत की दोहरी मार ने पर्यटन व्यवसाय की कमर तोड़ दी है। पहले कोराेना का कहर और फिर भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ से अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। देश के दो बड़े पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल में 3700 करोड़ का करोबार ठप हो गया है। 10 हजार से ज्यादा होम स्टे संचालक और होटल व्यवसायी प्रभावित हुए हैं। कई व्यवसायी कर्ज में डूब गए हैं। कई होटल बिकने की कगार पर हैं।

दोनों राज्यों में पर्यटन व्यवसाय से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लगभग 12.5 लाख लोगों की आमदनी का जरिया लगभग ठप हो गया है। उत्तराखंड में भूस्खलन की वजह से अब भी 298 सड़कें बंद हैं। चारधाम यात्रा के सभी रास्ते भूस्खलन के चलते बंद हुए हैं। बारिश को देखते हुए दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर पर्यटकों ने ऑनलाइन बुकिंग कैंसिल कर दी है। कुल मिलाकर इस बार पर्यटन कारोबार पूरी तरह चौपट हो गए हैं।

हिमाचल: हर साल 1.65 करोड़ सैलानी आते थे, 2021 में 20 लाख से कम
पर्यटन विभाग के निदेशक अमित कश्यप कहते हैं कि पहले प्रतिवर्ष 1.65 करोड़ सैलानी आते थे। कोरोना के बाद 2020 में 32 लाख, 2021 में 20 लाख से भी कम सैलानी आए। भूस्खलन ने आंकड़ा और गिरा दिया। आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के संयुक्त निदेशक अनुपम शर्मा ने बताया कि 1700 करोड़ रु. कारोबार प्रतिवर्ष होता है। जोकि दो सालों में 90% डाउन हो गया है। यहां 3350 होटल, 1656 होम स्टे और 222 एडवेंचर साइट हैं। व्यवसाय से जुड़े 4.5 लाख लोग आर्थिक संकट में हैं।

उत्तराखंड : 92% कमाई चौपट, आठ लाख लोग हुए प्रभावित
कोरोना से पहले 2019 में पर्यटन से उत्तराखंड में लगभग 2 हजार करोड़ रु. का कारोबार हुआ था। 60% कमाई चार धाम यात्रा से होती है, जो शुरू नहीं हो पाई। व्यवसाय से जुड़े 8 लाख लोग आर्थिक संकट में हैं। होटल संघ के अध्यक्ष संदीप सैनी बताते हैं कि करीब 1500 होटल और 4657 होम स्टे हैं कोरोना से पहले प्रतिवर्ष 6 करोड़ पर्यटक आते थे। 3.5 करोड़ धार्मिक होते हैं। ये बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंड साहिब आते हैं। इस बार 92% कमाई प्रभावित हुई है।

उत्तराखंड में 4657 होम स्टे और हिमाचल में 1656 होम स्टे संचालित हो रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने लोन लेकर अपने प्रतिष्ठान खड़े किए हैं। ऐसे लोगों को 2 साल से किश्तें देना भारी पड़ रहा है। कई व्यवसायी अपनी जेब से कर्मचारियों का वेतन, बिजली, पानी के खर्चे उठा रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि लोग अब इस व्यवसाय को बेचने में लगे हैं। धर्मशाला, मैक्लोडगंज में लगभग 70-80 होटल बिकने को तैयार हैं। यही हालात कुल्लू में भी है। भूस्खलन के बाद ऑनलाइन बुकिंग भी रद्द कर दी गई हैं।

उत्तराखंड, हिमाचल होटल एसोसिएशन की मांग है कि बिजली बिल, हाउस टैक्स माफ किए जाएं। जीएसटी में भी छूट मिले। इसके अलावा लोन की किश्तों में भी रियायत दी जाए। सरकार मांगें मान ले तो व्यवसािययों को काफी राहत मिल जाएगी।

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