टाटा मोटर्स इंडिया को अलविदा कह चुकी फोर्ड मोटर्स की गुजरात और तमिलनाडु वाली यूनिटों को खरीदना चाहती है। कई सूत्रों ने बताया है कि इसके लिए दोनों दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियों के बीच शुरुआती बातचीत चल रही है। टाटा मोटर्स सौदा करने में कामयाब रहती है, यह फोर्ड के एसेट्स की उसकी दूसरी खरीदारी होगी। कंपनी ने इससे पहले मार्च 2008 में फोर्ड से जगुआर लैंड रोवर खरीदा था। टाटा ने इसके लिए अमेरिकी कंपनी को 2.3 अरब डॉलर चुकाए थे।
टाटा मोटर्स इको फ्रेंडली गाड़ियां बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में फोर्ड के गुजरात और तमिलनाडु वाले मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खरीदने से उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। फिलहाल देश में टाटा मोटर्स के तीन पैसेंजर व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं जिनमें से एक फिएट क्राइसलर के साथ ज्वाइंट वेंचर में चल रही है। टाटा ने अपने पैसेंजर व्हीकल बिजनेस को लगभग 9,420 करोड़ रुपए वैल्यू की एक अलग कंपनी बना दी है।इस डील से फोर्ड को घाटे में चल रही इंडियन यूनिट से छुटकारा मिल जाएगा और वह बड़ी संभावनाओं वाले इलेक्ट्रिक और ऑटोमेटेड व्हीकल में निवेश बढ़ा सकेगी। फोर्ड की लोकल यूनिट में टाटा की दिलचस्पी अपनी टॉप लीडरशिप- चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ की तमिलनाडु के अधिकारियों के साथ मुलाकात के बाद बढ़ी है।
टाटा मोटर्स का गुजरात वाला प्लांट फोर्ड की प्रॉडक्शन यूनिट के बगल में है। लेकिन तमिलनाडु में टाटा मोटर्स का कोई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। तमिलनाडु सरकार की दिलचस्पी फोर्ड में काम कर रहे लोगों की नौकरियां बचाने में है। इसलिए वह चाहती है कि उसके प्लांट का कोई खरीदार मिल जाए। फोर्ड पिछले 10 साल में यहां दो अरब डॉलर से ज्यादा का घाटा उठा चुकी है। इसलिए उसने आखिरकार देश छोड़ने का फैसला कर लिया।
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि चंद्रशेखरन की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के साथ शिष्टाचार मुलाकात थी। फोर्ड इंडिया के प्रवक्ता के मुताबिक, ‘हम अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए विकल्प ढूंढ रहे हैं। कयासबाजी को लेकर हमें कुछ नहीं कहना है।’मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक, फोर्ड के प्लांट खरीदना टाटा मोटर्स के लिए फायदे का सौदा होगा। ये प्लांट कंपनी को सस्ते दाम में मिल सकते हैं और उसे तमिलनाडु सरकार से भी कुछ बेनेफिट मिल सकते हैं।