कोलिन पॉवेल नहीं रहे:

कोलिन पॉवेल नहीं रहे:

अमेरिका के पूर्व डिप्लोमैट, मिलिट्री जनरल और स्टेट सेक्रेटरी कोलिन पॉवेल का 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। पॉवेल रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य थे और उन्हें पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का अहम सहयोगी माना जाता था। इराक में सद्दाम हुसैन की कुर्सी से हटाने में पॉवेल ने खास भूमिका अदा की थी। वे अमेरिका के पहले अफ्रीकी-अमेरिकी विदेश मंत्री रहे। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पॉवेल कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे। इसके बावजूद भी वे संक्रमित हो गए। कुछ दिन पहले उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। यहां उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया। बाद में उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया, लेकिन सोमवार को उनका निधन हो गया। पॉवेल के परिवार ने एक बयान में उनके निधन की पुष्टि की। परिवार ने कहा- पॉवेल फुली वैक्सीनेटेड थे। दो महीने पहले ही उनके दोनों डोज पूरे हो गए थे। इसके बाद भी वे संक्रमित हुए।

परिवार ने बयान में आगे कहा- जनरल कोलिन पॉवेल अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री और पूर्व ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ रहे। मेडिकल स्टाफ ने उन्हें बचाने के लिए पूरी ताकत लगाई। इसके लिए हम मेडिकल टीम के शुक्रगुजार हैं। अमेरिका ने अपना एक सच्चा सपूत खो दिया है।

एक डिप्लोमैट के तौर पर भी पॉवेल का कॅरियर शानदार रहा। 2003 में यूएन में उन्होंने इराक में फौज भेजने के फैसले का न सिर्फ बचाव किया बल्कि ये भी साबित कर दिया था कि ये कदम क्यों जरूरी था।

पॉवेल का जन्म अमेरिका में हुआ, लेकिन उनके पेरेंट्स जमैकन मूल के थे। न्यूयॉर्क से पॉवेल ने ग्रेजुएशन किया और बाद में यूएस आर्मी में चले गए। उन्होंने वियनाम की जंग में भी हिस्सा लिया। जॉर्ज बुश के दौर में वो नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भी रहे।

2007 में उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें कहा था- पॉवेल को आप प्रॉब्लम सॉल्वर कह सकते हैं। एक फौजी जो डिप्लोमैसी को भी बेहतर तरीके से समझता है। खास बात यह है कि पॉवेल के पिता माइकल भी अमेरिका में ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ रह चुके हैं।

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