चुनाव में मुफ्तखोरी के वादों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त:

चुनाव में मुफ्तखोरी के वादों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त:

चुनाव के दौरान फ्री में बिजली-पानी या अन्य सुविधाएं देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि मुफ्तखोरी के वादे करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया जाए और चुनाव चिह्न जब्त कर लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस याचिका पर मंगलवार को केंद्र व भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने कहा कि नि:संदेह यह गंभीर मसला है। इससे मतदाता और चुनाव प्रभावित होते हैं। लेकिन कोर्ट ऐसे मामलों में क्या कर सकता है? मुफ्त याेजनाओं का बजट नियमित बजट से आगे निकल रहा है। हालांकि, फिर भी यह भ्रष्ट आचरण नहीं है, लेकिन यह चुनावों की निष्पक्षता को जरूर प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है।

कहा-चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दल उपहार बांटने, बिजली-पानी फ्री देने और कई अन्य गैरवाजिब वादे कर रहे हैं। बतौर उदाहरण, पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 18 साल या उससे अधिक उम्र की महिला को 1 हजार रु. प्रतिमाह देने का वादा किया है। शिरोमणि अकाली दल ने हर महिला को 2 हजार रु. प्रति माह देने का वादा किया है। कांग्रेस ने हर महिला को 2 हजार रु. महीना, 10वीं पास करने पर 15 हजार और 12वीं पास पर ~20 हजार व स्कूटी देने का वादा किया है।

2013 में भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पूर्व होने वाली मुफ्त घोषणाओं को लेकर आयोग से गाइडलाइंस बनाने के लिए कहा था। इसके बाद आयोग ने सभी राजनीतिक दलों की बैठक भी बुलाई थी, लेकिन अधिकांश दल इसके लिए राजी नहीं हुए। आखिर में, 2015 में आयोग ने निर्देश दिए कि पार्टियों को यह बताना होगा कि घोषणापत्र में किए जाने वाले वादों को किस स्रोत से पूरा करेंगे। इस पर नजर रखने के लिए एक कमेटी भी बना दी गई। मगर यह सिर्फ खानापूर्ति ही साबित हुई।

चुनाव से पहले होने वाली सभी फ्री घोषणाओं पर अंकुश लगाने की बजाए उसे आंकना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस तरह की कुछ घाेषणाओं के फायदे भी हुए हैं। मसलन, तमिलनाडु में जयललिता ने 2003 में 11वीं और 12वीं की छात्राओं को साइकिल दी थी ताकि दूरी की वजह से आने-जाने में परेशानी के कारण वे स्कूल न छोड़ें। सभी छात्रों को आने-जाने का फ्री बस पास देने से प्रदेश के शिक्षा स्तर में अच्छा सुधार हुआ था।

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