बिलासपुर में आजादी के अमृत महोत्सव से मल्टी स्किल सेंटर की कामकाजी महिलाओं में नई उम्मीद जगी है। राज्य शासन ने चार साल पहले महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इस सेंटर को शुरू किया था। यहां अत्याधुनिक सिलाई मशीनें सहित कई तरह के उपकरण हैं लेकिन इनका उपयोग नहीं हो पा रहा था। अब जिला प्रशासन ने इस सेंटर से जुड़ी महिलाओं को 25 हजार तिरंगे बनाने का काम सौंपा है। महिलाओं ने इसे बनाना शुरू भी कर दिया है। इसके लिए महिलाओं को जिला प्रशासन भुगतान करेगा।
इंडिपेंडेंस डे सेलिब्रेशन और हर घर तिरंगा अभियान के लिए स्वसहायता समूह की कार्यकर्ताओं को तिरंगा झंडा बनाने का काम दिया जा रहा है। भास्कर की टीम गनियारी के एक ऐसे ही सेंटर में पहुंची। यह सेंटर चार साल से बंद पड़ा था, जिसे अब राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए शुरू किया गया है। दरअसल 14 करोड़ रुपए की लागत से यहां आसपास दो मल्टी स्किल सेंटर बनाए गए थे। 2019 में बने इन सेंटर को हाईटेक बनाया गया था। यहां महिलाओं को स्वरोजगार की ट्रेनिंग दी जानी थी। अत्याधुनिक मशीनों से लैस इन सेंटर्स में ना सिर्फ महिलाएं उत्पाद बनाना सीखतीं यहीं वो प्रोडक्ट बनाकर मार्केट में बेचती भीं। गनियारी, बिल्हा में भी ऐसे सेंटर खुले, लेकिन कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद मिस मैनेजमेंट के चलते बंद हो गए।मल्टी स्किल सेंटर में दो से अधिक सिलाई मशीन है। इसके साथ ही इंटरलॉक और इलेक्ट्रिक मशीनें भी हैं। इसके साथ ही धागा बुनने के लिए इलेक्ट्रिक उपकरण भी हैं लेकिन, ये सभी धूल खाते पड़े थे। पूछताछ में पता चला कि सेंटर में पिछले आठ माह से बिजली बंद है, जिसके चलते अब काम करने वाली महिलाएं इलेक्ट्रिक मशीन का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। तिरंगा झंडा बनाने के लिए कुछ दिन पहले ही उनके लिए पैर से चलाने वाले सिलाई मशीनों को बनवाया गया है। वहीं, अब बिजली सप्लाई शुरू करने के लिए भी प्रशासन ने विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को निर्देशित किया है।
जिले के तखतपुर के गनियारी और बिल्हा ब्लॉक के नगोई में साल 2019 में मल्टी स्किल सेंटर की शुरूआत की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना था। यहां महिलाओं को कोसे से धागा निकालने, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई और बैग बनाने के साथ ही अगरबत्ती, मोमबत्ती बनाने के साथ ही चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाना था। महिलाओं की ओर से बनाए गए उत्पाद को मार्केट उपलब्ध कराकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की भी योजना थी। इसके लिए एक-एक सेंटर में 7-7 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई थी।