पीएम गतिशक्ति को जिला स्तर पर मजबूत बनाया जायेगा। पीएम गति शक्ति (पीएमजीएस) राष्ट्रीय मास्टर प्लान के लागू होने के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर, सोशल सेक्टर एवं राज्यों की प्रोजेक्ट प्लानिंग को और ज्यादा गति दी जायेगी। जिला के स्तर पर भी लागू किया जा रहा है तथा जिला कलेक्टर्स के अनुभवों के आधार पर “एरिया डेवलपमेंट अप्रोच” को आगे बढ़ाया जायेगा।
पीएम गति शक्ति पर आज यहां पहली कार्यशाला में और मध्य प्रदेश के 8 जिलों के कलेक्टर, छत्तीसगढ़ के 10 जिलों, सीईओ जिला परिषद, एनआईसी के तकनीकी अधिकारी ने भाग लिया। कार्यशाला का आयोजन उदयोग प्रोत्साहन एवं आंतरिक व्यापार विभाग -डीपीआईआईटी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एमपीआईडीसी के सहयोग से किया गया था।
कार्यशाला का उद्घाटन सुश्री सुमिता डावरा, विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) भारत सरकार डीपीआईआईटी, श्री ई. श्रीनिवास, संयुक्त सचिव भारत सरकार डीपीआईआईटी एवं डॉ. नवनीत मोहन कोठारी प्रबंध संचालक एमपीआईडीसी द्वारा किया।
उल्लेखनीय है कि पीएम गति शक्ति (पीएमजीएस) राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 में लॉन्च किया था। यह प्रोजेक्ट प्लानिंग एवं आर्थिक क्षेत्रों के एकीकृत प्लानिंग के लिये एक सशक्त सिस्टम है। जीआईएस आधारित आईटी सिस्टम तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर गठित इन्स्टिच्यूशनल फ्रैम वर्क पीएम गतिशक्ति को सशक्त बनाया।
सुश्री सुमिता डावरा ने बतया कि पीएम गति शक्ति एमपी के जिलों को शामिल करने से पीएम गति शक्ति एनएमपी के सभी स्टैक होल्डर्स एक साथ आएंगे। परिणामस्वरूप जिलों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के बीच सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान होगा। इससे व्यापक, समग्र और एकीकृत क्षेत्रीय विकास होगा एवं ईज़ ऑफ डूइंग बिजनस, ईज़ ऑफ लिविंग एवं ग्रीन लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालयों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पीएमजीएस एनएमपी के तहत कई सक्सेस स्टोरी की पहचान की गई है।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने पीएम-जनमन (प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) पहल के तहत 23000 आदिवासी बस्तियों का व्यापक विश्लेषण करने के लिए पीएम गतिशक्ति का उपयोग किया है। इन बस्तियों में लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिये 35 क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि की पहचान की गई है, ताकि इन क्षेत्रों का जीवन स्तर सुधर सके।