अफगानिस्तान:देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहा भारत; कश्मीर को भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा बता चुका है तालिबान

अफगानिस्तान:देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहा भारत; कश्मीर को भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा बता चुका है तालिबान

अफगानिस्तान अब तालिबान के कब्जे में है। उसकी सरकार बनने की बस औपचारिकता ही बाकी है। भारत अब तक इस मसले पर अमूमन खामोश है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत सरकार इस मामले पर ‘देखो और इंतजार करो’ की स्ट्रैटेजी पर चल रही है। विदेश मंत्रालय इस बात पर नजर रख रहा है कि दुनिया के दूसरे अहम देश अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत पर किस तरह का रिएक्शन देते हैं। पाकिस्तान इस मौके को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की साजिश रच सकता है, लेकिन उसे शायद कामयाबी न मिले। इसकी वजह यह है कि तालिबान पहले ही कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान का आपसी विवाद बता चुका है।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हालात पर अफसरों से जानकारी ले रहे हैं। भारतीयों की काबुल से वापसी को लेकर उन्होंने सोमवार रात और फिर मंगलवार को भी जानकारी ली। मोदी ने जामनगर पहुंचे भारतीयों के लिए तमाम इंतजाम करने के भी आदेश दिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक- अफगानिस्तान को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंता है। तालिबान के काबिज होने से अफगानिस्तान इस्लामिक आतंकवाद का ऐसा केंद्र बन सकता है जहां खुद आतंकी संगठन सत्ता में हों। उनके पास अब वो हथियार भी होंगे जो अमेरिका ने अफगान फौज को दिए थे। इसके अलावा पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी की कुछ मौजूदगी भी वहां हैं। काबुल के नजदीक कुछ गांवों में इन्होंने चेक पोस्ट भी बनाए हैं। ये तालिबान का साथ दे रहे हैं।

अफगानिस्तान में तेजी से बदले हालात के बीच कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। घाटी में हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के पास इतनी ताकत नहीं है कि वे अफगानिस्तान के हालात का फायदा उठाकर कश्मीर में गड़बड़ी फैला सकें। वैसे भी तालिबान पहले ही कुछ मौकों पर साफ कर चुका है कि वो कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का अंदरूनी और द्विपक्षीय मामला मानता है। इसलिए लगता नहीं कि वो कश्मीर में दखल की कोशिश करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI कश्मीर मुद्दे पर तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। हालांकि, उसका तालिबान पर बहुत ज्यादा असर नहीं है। इसकी एक वजह यह भी है कि तालिबान सत्ता में आ चुका है। इतिहास की बात करें तो पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के कुछ कैम्प अफगानिस्तान में जरूर थे। इसलिए भारत अब इससे सबक लेकर जम्मू-कश्मीर के हालात पर पैनी नजर रख रहा है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अफगानिस्तान के हालात को खतरनाक बताया है। सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे से 100 फीसदी खुश होगा। ये जरूरी नहीं कि वहां जो सत्ता में आए वो पाकिस्तान परस्त ही हो। लेकिन, कुछ लोग जरूर खुश होंगे। बहरहाल, ये बात जरूर माननी होगी कि हमारे लिए हालात वास्तव में खतरनाक हैं।

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