छत्तीसगढ़ में समय से पूर्व आया मानसून काम नहीं आया। जुलाई-अगस्त के महीने में सामान्य से बहुत कम पानी बरसा। इतना कम कि 28 में से 24 जिलों का अधिकांश हिस्सा प्यासा रह गया। 20 जिलों की 52 तहसीलों में से 25 से 50 प्रतिशत तक कम पानी बरसा है। किसानों को अब सितम्बर से उम्मीद है। अगर अगले कुछ दिनों में पानी नहीं बरसा तो खरीफ की फसल बचाना मुश्किल हो जाएगा।
797.5 मिलीमीटर बरसात हुई
मौसम विभाग के मुताबिक एक जून से 31 अगस्त तक प्रदेश भर में 797.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य से 15 प्रतिशत कम है। सामान्य तौर पर इन तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में औसतन 933.2 मिलीमीटर बरसात होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मध्य जुलाई के बाद बरसात अनियमित होती चली गई। इसकी वजह से प्रदेश के अधिकांश जिले पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।
प्रदेश के केवल चार जिले ऐसे हैं जहां बरसात सामान्य या उससे अधिक है। इसमें सुकमा जिले में सबसे अधिक 1300 मिलीमीटर पानी बरसा है। सूरजपुर में 990, बेमेतरा में 869.5 और कबीरधाम जिले में 693.2 मिमी बरसात बताई जा रही है। यह सामान्य या इससे अधिक है।
शेष 24 जिलों में औसत सामान्य बरसात से कम पानी गिरा है। बालोद और कांकेर में औसत से 35-36 प्रतिशत कम बरसात हुई है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने फसल नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया है। कलेक्टरों से 7 सितम्बर तक इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट आने के बाद सूखे की विकरालता का अंदाजा हो पाएगा।
इन चार तहसीलों की हालत सबसे खराब
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के शुरुआती आंकलन के मुताबिक तीन जिलों की चार तहसीलों में हालत सबसे खराब है। इन तहसीलों में 50 प्रतिशत से भी कम बरसात हुई है। इनमे कांकेर जिले के कांकेर और दुर्गुकोंदल, बस्तर की बकावंड और रायपुर की आरंग तहसील शामिल है।
बरसात के ऐसे हैं हालात
राजस्व विभाग ने दैनिक वर्षा के आंकड़ाें के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक 20 जिलों की 52 तहसीलों में 51 से 75 प्रतिशत तक ही बरसात हुई है। 24 जिलों की 69 तहसीलें ऐसी हैं जहां, 76 से 99 प्रतिशत बरसात दर्ज हुई है। वहीं 17 जिलों की 46 तहसीलों में 100 प्रतिशत पानी बरसा है। यानी खतरे के सबसे अधिक जद में 52 तहसीलें आ रही हैं।
राजिम क्षेत्र के किसान तेजराम का कहना है, बरसात नहीं होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। खरपतरवार बढ़ा है। उसकी निंदाई का खर्च बढ़ रहा है। उमस की वजह से कीटों का प्रकोप भी हो रहा है। अगर उसमें दवा का छिड़काव किया जाए तो अगले कुछ दिनों में बरसात जरूरी होगी। ऐसा नहीं हुआ तो नुकसान हो सकता है। अगर कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई तो धान की फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा। कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर का कहना है, 8-10 दिनों में भी अगर अच्छी बरसात हो गई तो फसलों को बचाया जा सकता है।
मुख्य सचिव अमिताभ जैन आज शाम 4 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों से चर्चा कर सूखे के हालात की समीक्षा करेंगे। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के साथ कृषि विभाग के अफसरों को भी मैदान में उतारा जा रहा है। मुख्य सचिव से रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री खुद इसपर चर्चा करने वाले हैं।