स्ट्रॉन्ग GDP डेटा से उत्साहित सरकार बढ़ा सकती है ग्रोथ एस्टीमेट

स्ट्रॉन्ग GDP डेटा से उत्साहित सरकार बढ़ा सकती है ग्रोथ एस्टीमेट

सरकार ने जून तिमाही की GDP ग्रोथ के आंकड़े मंगलवार को जारी किए। इसमें 20.1% का तेज उछाल आया, जो ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों के अनुमानों के औसत, 20% के करीब था। मसला यह है कि GDP ग्रोथ में भले ही ‘V’ शेप में रिकवरी हुई हो लेकिन इकोनॉमी तिमाही आधार पर कोविड से पहले के लेवल से काफी नीचे है।

वित्त वर्ष 2021-22 की जून तिमाही में GDP 32,38,020 करोड़ रुपए रही जो वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 35,66,708 करोड़ रुपए थी। कोविड के चलते हुए लॉकडाउन से पिछले साल यह घटकर 26,95,421 करोड़ रुपए रह गई थी।

हालांकि, सरकार जून तिमाही में GDP ग्रोथ के स्ट्रॉन्ग डेटा को लेकर उत्साहित है। उसका कहना है कि GDP का स्ट्रॉन्ग डेटा आने वाली तिमाहियों में टिकाऊ ग्रोथ का आधार बन सकता है।

मंगलवार को नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा था कि आने वाले हफ्तों में GDP ग्रोथ का एस्टीमेट बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एसेट क्रिएशन के लिए खर्च बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया था। उसका असर अब दिख रहा है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इस वित्त वर्ष GDP का लेवल कोविड से पहले यानी दो साल पहले के स्तर से ऊपर जा सकता है। CII की चीफ इकोनॉमिस्ट विदिशा गांगुली के मुताबिक, इसका जवाब हां में हो सकता है। पहली तिमाही के आंकड़े GDP के वित्त वर्ष 2019-20 से थोड़ा ऊपर जाने के संकेत दे रहे हैं।

अगर वित्त वर्ष 2021-22 में 9.8% की ग्रोथ हासिल होती है तो GDP वित्त वर्ष 2019-20 से 1.8% ज्यादा हो जाएगी और इकोनॉमी कोविड से पहले वाले लेवल से ऊपर आ जाएगी। चुनौती वित्त वर्ष 2022-23 और इससे आगे के वर्षों में ग्रोथ को 7-8% के दायरे में रखने को लेकर आएगी।

विदिशा गांगुली कहती हैं कि कई इंडिकेटर दूसरी तिमाही में आर्थिक स्थिति बेहतर रहने के संकेत दे रहे हैं। तीसरी लहर नहीं दिखने से कोविड संक्रमण के मामले घटे हैं और टीकाकरण बढ़ा है। GST कलेक्शन, डिजिटल ट्रांजैक्शन, ई-वे बिल और रेलवे फ्रेट जैसे मंथली इंडिकेटर ग्रोथ की रफ्तार तेज होने के संकेत दे रहे हैं।

इस बार अच्छी बात यह रही कि लॉकडाउन संपूर्ण नहीं था। जून तिमाही में एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन सेक्टर का परफॉर्मेंस बेहतर रहा, लेकिन फाइनेंशियल रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज में कमजोरी रही।

गांगुली के मुताबिक दूसरी लहर को देखते हुए कोविड की पाबंदियों के चलते घरेलू मांग कमजोर बनी रही। लेकिन एक्सपोर्ट और इनवेस्टमेंट से ग्रोथ को बड़ा सपोर्ट मिला जबकि सरकारी खर्च इस दौरान कम हो गई। विकसित देशों में टीकाकरण के साथ रिकवरी तेज होने से निर्यात बढ़ रहा है। पहली तिमाही में निर्यात के मजबूत आंकड़े रहे हैं, जिसको बनाए रखने की जरूरत है।

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