कोवैक्सिन को WHO का अप्रूवल:

कोवैक्सिन को WHO का अप्रूवल:

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। दिवाली से एक दिन पहले WHO ने 18 साल से ऊपर के लोगों को कोवैक्सिन लगाने का अप्रूवल दिया है। कोवैक्सिन को भारत में ही विकसित किया गया है। इसे ICMR और हैदराबाद की भारत बायोटेक ने मिलकर बनाया है।

WHO ने अपने बयान में कहा- दुनियाभर के विशेषज्ञों से मिलकर बनी हमारी टीम ने तय किया है कि कोवैक्सिन कोरोना से सुरक्षा के लिए WHO के मानकों को पूरा करती है। वैक्सीन के फायदे उसके जोखिम से ज्यादा हैं। यह वैक्सीन दुनिया भर के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। कोवैक्सिन की समीक्षा WHO के स्ट्रैटजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन (SAGE) ने की थी।हाल ही में G-20 की मीटिंग में इटली गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने WHO चीफ डॉ. टेड्रोस ग्रेब्रेयेसस​​​​​ के साथ कोवैक्सिन को अप्रूवल पर चर्चा की थी। उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि अगले साल के आखिर तक भारत कोरोना वैक्सीन की पांच अरब डोज तैयार कर सकता है।

इससे पहले WHO की कमेटी ने 26 अक्टूबर को कोवैक्सिन को लेकर बैठक की थी। उस दिन कोई फैसला नहीं हो सका था, लेकिन WHO के सदस्यों की बातों से संकेत मिल गए थे कि अगली मीटिंग में इमरजेंसी अप्रूवल दिया जा सकता है। WHO की मेडिसिन और हेल्थ प्रोडक्ट की ADG मैरीएंजेला सिमाओ ने कहा था कि हमें भारत की वैक्सीन इंडस्ट्री पर भरोसा है। भारत बायोटेक हमें लगातार डेटा प्रोवाइड करा रही है।

भारत में अभी कोरोना वैक्सीनेशन के लिए तीन वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोवीशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और रूस की स्पुतनिक-V शामिल है। हालांकि अमेरिका की फाइजर और मॉडर्ना समेत देश में ही बनी जायकोव-D को भी इमरजेंसी यूज का अप्रूवल दिया जा चुका है, लेकिन ये तीनों वैक्सीन फिलहाल आम आदमी के लिए अवेलबल नहीं हैं।भारत के वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को ऑस्ट्रेलिया समेत पांच देशों ने 1 नवंबर को ट्रैवल अप्रूवल दिया था। यानी, अब भारत में कोवैक्सिन लगवाने वाला कोई भी भारतीय वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया जा सकेगा और उसे वहां 14 दिन क्वारैंटाइन भी नहीं होना पड़ेगा।

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