छत्तीसगढ़ में विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक की मंजूरी के मामले में राजभवन और सरकार के बीच टकराव के हालात बन गए हैं। राजभवन ने करीब एक हफ्ता पहले आरक्षण विधेयक को लेकर सरकार से 10 सवाल के जवाब मांगे थे। रविवार को सरकार की ओर से जवाब भेज दिए गए हैं। मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अब राज्यपाल को विधेयक पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए। उधर, बिलासपुर में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि जवाब के नाम पर 4 से 10 लाइन का पत्र लिख दिया जाए और कह दिया जाए कि जवाब भेज दिया है। पहले जवाब देखकर पूरी जानकारी लूंगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई करूंगी।
सीएम भूपेश बघेल ने मीडिया से कहा कि राजभवन से 10 बिंदुओं पर पूछे गए सवालों का जवाब सरकार ने भेज दिया है। हालांकि संविधान में सवालों की कोई व्यवस्था नहीं है, फिर भी जानकारी दे दी गई है। अब राज्यपाल अनुसुईया उइके को आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने में देर नहीं करनी चाहिए। सीएम भूपेश पहले भी कह चुके हैं कि राजभवन को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है। विधिक सलाहकार उनको गलत सलाह दे रहे हैं।
राज्यपाल ने पहले कहा था कि जैसे ही विधानसभा से प्रस्ताव आएगा, हस्ताक्षर करूंगी। आरक्षण किसी एक वर्ग के लिए नहीं होता है, क्या राजभवन को यह पता नहीं है। विधानसभा से बड़ा है क्या कोई विभाग? सीएम यह आरोप भी लगा चुके हैं कि भाजपा के लोगों के इशारों पर राजभवन का खेल हो रहा है। राजभवन के अधिकारी भाजपा की कठपुतली की तरह उनके निर्देशों पर काम कर रहे हैं। ये प्रदेश के हित में नहीं है।