उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर नाराजगी जताई, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा (3 महीने) तय की गई थी। उन्होंने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं, क्योंकि राष्ट्रपति संवैधानिक रूप से सर्वोच्च पद पर हैं और संविधान की रक्षा, संरक्षण व संवर्धन की शपथ लेते हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तर्क दिया कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है और संविधान का अनुच्छेद 142, जो सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्तियां देता है, “लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल” बन गया है। उन्होंने तमिलनाडु मामले का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के फैसलों की न्यायिक समीक्षा चिंताजनक है।
