तालिबान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार अफगानिस्तान की महिला गवर्नर, बनाई खुद की सेना

तालिबान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार अफगानिस्तान की महिला गवर्नर, बनाई खुद की सेना

उत्तरी अफगानिस्तान के एक ग्रामीण जिले से गुजरती एक पिकअप की अगली सीट पर बैठीं सलीमा मजारी काफी बेपरवाह नजर आ रही हैं और वाहन के ऊपर लगे लाउडस्पीकर में एक लोकप्रिय स्थानीय गीत बज रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान हर रोज अपने पैर पसार रहा है। समूह अब तक 90 फीसदी मुल्क पर कब्जे का दावा कर रहा है। धीरे-धीरे तालिबान अब प्रांतीय राजधानी की ओर बढ़ रहा है। पिछले मंगलवार को काबुल के ग्रीन जोन को भी विद्रोहियों ने बम और बंदूकों से दहला दिया। ऐसे में पिकअप पर सवार यह बेखौफ महिला कौन है और यह किस मिशन पर है?

पुरुष-प्रधान अफगानिस्तान में एक महिला जिला गवर्नर सलीमा मजारी एक मिशन पर हैं। वह तालिबान से लड़ने के लिए पुरुषों की भर्ती कर रही हैं। लाउडस्पीकर पर जो गीत बज रहा है, उसके बोल हैं- ‘Homeland… I sacrifice my life for you’ यानी ‘मातृभूमि.. मैं तुम्हारे लिए बलिदान देता हूं’। मजारी आजकल लोगों से यही करने के लिए कह रही हैं।

मई की शुरुआत से ही तालिबान ने अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने सैनिकों की घर वापसी की घोषणा की और देखते ही देखते अफगानिस्तान की सूरत बदल गई। विद्रोहियों के कब्जे के बाद कई जिलों में लोगों की जिंदगी अब पूरी तरह से बदल चुकी है। हालांकि पहाड़ों और घाटियों के बीहड़ जिले चारकिंट में मजारी का शासन है। बल्ख प्रांत का यह जिला मजार-ए-शरीफ के दक्षिण में करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित है।

तालिबान के निशाने पर मजारी का समुदाय
मजारी कहती हैं कि तालिबान मानवाधिकारों को रौंदता है। तालिबान शासन के तहत महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और रोजगार से दूर कर दिया गया था। 2001 के बाद से चीजें धीरे-धीरे बदलने लगी थीं। न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए मजारी ने कहा कि समाज एक महिला नेता को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। मजारी हजारा समुदाय की सदस्य हैं, जिसमें ज्यादातर शिया मुसलमान हैं और जिसे सुन्नी तालिबान एक ‘विधर्मी संप्रदाय’ मानता है।

आधे जिले पर विद्रोहियों का कब्जा
हजारा समुदाय को तालिबान और इस्लामिक स्टेट के लड़ाके अक्सर निशाना बनाते रहते हैं। मई में काबुल के एक स्कूल पर हमला हुआ था जिसमें 80 से अधिक लड़कियों की मौत हो गई थी। मजारी का अब ज्यादातर समय तालिबान के खिलाड़ लड़ाई के लिए लड़ाकों की भर्ती करने में बीतता है क्योंकि आधा जिले पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। सैंकड़ों स्थानीय लोग, जिनमें किसान, चरवाहे और मजदूर शामिल हैं, मजारी के साथ जुड़ चुके हैं।

जमीन बेचकर लोगों ने खरीदे हथियार
मजारी ने कहा कि हमारे लोगों के पास बंदूकें नहीं थीं लेकिन लोगों ने हथियार खरीदने के लिए अपनी गायों, भेड़ों और यहां तक कि अपनी जमीनों को भी बेच दिया है। उन्होंने बताया कि लोग बिना किसी वेतन के दिन-रात विद्रोहियों का सामना करने के लिए आगे की पंक्ति में खड़े हैं। मजारी अब तक जिले में सुरक्षा बलों की मदद के लिए 600 स्थानीय लोगों की भर्ती कर चुकी हैं। 2001 से पहले के तालिबानी शासन से जुड़ी कई बुरी यादें अभी तक इस जिले के लोगों के दिलों में कैद हैं।

मजारी जानती हैं कि अगर तालिबान सत्ता में लौटता है तो वह नेतृत्व की स्थिति में एक महिला को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षा से दूर कर दिया जाएगा और युवाओं का रोजगार खत्म हो जाएगा। अपने ऑफिस में मिलिशिया कमांडरों के साथ एक बैठक का नेतृत्व करते हुए मजारी अब अगली लड़ाई की तैयारी कर रही हैं।

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