नामांकन रद्द होने के बाद बाद यह बड़ा सवाल था कि अमित जोगी अब क्या करेंगे। इसका जवाब भी जोगी की तरफ से आ गया है। मां रेणू जोगी के साथ इस वक्त अमित अरमकंटक में हैं।
अमित ने कहा कि मैं मरवाही का नेता नहीं बल्कि बेटा हूँ और यहाँ के सभी दलों के लोगों के लिए मेरे दिल में प्यार है, इसीलिए मैं किसी के न तो पक्ष में बोलूंगा न ही विरोध में। अमरकंटक में जोगी परिवार ने माँ नर्मदा का आशीर्वाद लिया। उन्होंने विशेष रूप से कल्याणदास बाबा से मुलाकात की और स्व अजीत जोगी की आत्मकथा उनको भेंट की।
जनता के बीच जाएंगे न्याय मांगने
अमित और रेणू जोगी ने राजमेड़गढ़ में अजीत जोगी जी के परम मित्र हरि सिंह पोर्ते से भी मुलाकात की। उन्हें वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों से अवगत कराया। इसके बाद यहीं अपने समर्थकों के साथ पार्टी की आगे की रणनीति के बारे में भी बैठक की। अमित जोगी ने बताया कि भले ही जोगी परिवार को बदले की दुर्भावना से मरवाही के उप चुनाव से अलग कर दिया है लेकिन जोगी परिवार को कभी भी मरवाही के लोगों के दिलों से अलग नहीं किया जा सकता। भूपेश बघेल ने मेरे परिवार के साथ अन्याय किया है और इसका जवाब उन्हें मरवाही की जनता देगी। जोगी परिवार मरवाही की जनता के बीच वोट मांगने नहीं बल्कि वोट से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण न्याय मांगने जाएगा।
इसलिए मची है खलबली
दरअसल मरवाही विधानसभा सीट से लंबे वक्त तक अजीत जोगी चुनाव जीतते आएं हैं। उनके निधन के बाद बेटे अमित और बहू ऋचा ने इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा। मगर जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने की वजह से इनका नामांकन भी निरस्त हो गया। यह सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित है। इस सीट पर 3 नवंबर को वोटिंग होनी है और 10 नवंबर को नतीजे आएंगे। यह पहली बार हो रहा है जब जोगी परिवार से कोई भी इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले पा रहा है।